डीजीपी ने ‘पुलिस शहीद स्मारक‘ पर पुष्प अर्पित कर अमर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

  • आज का दिन पुलिस के वीर सपूतो के अदम्य साहस और कर्त्तव्य परायणता को समर्पित

पंचकूला। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शत्रुजीत कपूर ने शनिवार को पुलिस लाइन में पुलिस शहीदी दिवस के मौके पर ‘पुलिस शहीद स्मारक‘ पर पुष्प चक्र अर्पित कर भारतीय पुलिस बल के 188 अमर शहीदों के बलिदानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। देश के पुलिस सेवा के सभी बलिदानियों को याद करते हुए डीजीपी ने कहा कि आज हम भारतीय पुलिस सेवा के वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित हुए हैं जिन्होंने देश की कानून-व्यवस्था को कायम रखने, देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने और नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। आज का दिन हरियाणा पुलिस और भारतीय पुलिस सेवा के उन वीर सपूतों के अदम्य साहस और कर्तव्य-परायणता को समर्पित है जिसके चलते हर नागरिक स्वंय को सुरक्षित महसूस करते है।
-अब तक 83 पुलिसकर्मियों ने अपने प्राण न्योछावर किए
उन्होंने बताया कि हरियाणा राज्य के गठन से लेकर अब तक 83 पुलिसकर्मियों ने राज्य और नागरिकों की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए हैं। उन्होंने ने बताया कि पुलिस बलों पर देश की सीमाओं की सुरक्षा करने के साथ-साथ देश के आन्तरिक सुरक्षा का दायित्व होता है ताकि देश के भीतर और सीमाओं पर शांति कायम रहें। इस संवेदनशील कार्य में सेना के साथ-साथ सभी राज्यों की पुलिस और दूसरे अर्द्धसैनिक बलों की जिम्मेवारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
-आश्रित परिवार को नौकरी के अलावा पेंशन और 1 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जाती है
उन्होंंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा जहां कर्तव्य परायणता के दौरान प्राणों का बलिदान देने वाले पुलिसकर्मियों और उनके आश्रितों के कल्याण हेतु अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, पुलिस अधिकारी अथवा कर्मचारी के शहीद होने पर आश्रित परिवार को नौकरी के अलावा पेंशन और 1 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जाती है। इसके अतिरिक्त, पुलिस विभाग में अनुबंधित आधार पर कार्यरत कर्मचारी की दुर्घटना मृत्यु होने पर आश्रित परिवार को 50 लाख रूपये प्रदान किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद देश के जवानों ने कई युद्ध लड़े। इन युद्धों में कई सुरक्षा बलों और फ ौज के जवान शहीद हुए, लेकिन देश में शहीद हुए पुलिसकर्मियों की संख्या इन जवानों से कहीं अधिक है। 21 अक्टूबर 1959 से लेकर अब तक देश के 36 हजार 214 पुलिसकर्मियों ने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने आंकड़े साझा करते हुए बताया कि 90 के दशक में शहीद पुलिस कर्मियों की संख्य एक हजार से अधिक थी । इसी प्रकार, वर्ष-2015 में यह संख्या 701 थी जो अब वर्ष-2023 में घटकर 188 तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि पुलिस अपना काम बेहतर तरीके से कर रही है।
-क्यों मनाया जाता है पुलिस शहीदी दिवस
21 अक्तूबर 1959 को भारत-तिब्बत सीमा पर लद्दाख के क्षेत्र में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के दस जवान सीमा पर गश्त करते समय चीनी सैनिकों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले का शिकार हुए थे। तभी से 21 अक्तूबर को पुलिस शहीदी दिवस के रूप में मनाने की परम्परा आरम्भ हुई थी। तब से आज तक देश में करीब 36214 पुलिस कर्मियों ने कर्त्तव्य की वेदी पर सर्वोच्च बलिदान दिया है। इन वीर सपूतों की कर्मभूमि कश्मीर की पहाडिय़ों से लेकर नागालैंड और मणिपुर के घने जंगलों तक व चम्बल के बीहड़ो से लेकर कच्छ के रण तक रही है। इन्होंने हर समय आतंकवादियों, उग्रवादियों, अपराधियों व असमाजिक तत्वों से निपटते हुए भारत के जनमानस और भारत माता की सेवा की है। इनमें केन्द्र पुलिस संगठन के तहत कार्यरत बल जैसे भारत तिब्बत सीमा बल, सीआरपीएफ , सीआईएसएफ तथा बीएसएफ के जवान भी शामिल हैं। कार्यक्रम में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (लॉ एंड ऑर्डर) ममता सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक(साइबर) ओपी सिंह, आईजी एवं पुलिस आयुक्त पंचकूला सिबास कविराज, पंचकूला के उपायुक्त सुशील सारवान सहित कई अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *